भाभी की चूत चुदाई कहानी के दूसरे भाग
मेरी भाभी सेक्स की पाठशाला-2
में आपने पढ़ा कि
मैं पूरी ताकत से कविता भाभी को चोद रहा था कि अचानक मेरे लंड ने पिचकारी कविता भाभी की चूत में छोड़ दी।
साथ में भाभी भी आवाज करते हुए झड़ गई.
मैं भाभी के ऊपर गिर गया. उन्होंने मुझे अपनी छाती से लगा लिया. एक हाथ से कविता भाभी मेरी पीठ को सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरे सिर को। मैं उनके ऊपर पड़ा रहा और मैं उन्हीं के ऊपर सो गया.
मुझे नहीं पता मेरा लंड उसकी चूत से कब निकला।
मैं सोता रहा जब मेरी नींद खुली। तो रात के 11:30 बज रहे थे। मैं अभी भी कविता भाभी के ऊपर ही सो रहा था। उन्होंने मुझे अपने ऊपर से नहीं हटाया।
पर मैं उनके ऊपर से उतर के उनके बाजू में लेट गया और फिर हम दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
जब मैं सुबह 5:00 बजे सो कर उठा तो कमरे की लाइट जल रही थी और भाभी का नंगा बदन तेल में मालिश की जाने के कारण चमक रहा था.
मैं खड़ा होकर बेड से कुछ दूर भाभी को देखता रहा. भाभी के नंगे बदन को देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और भाभी को चोदने की इच्छा मेरे अंदर मेरे जाग गई.
मुझसे रहा ना गया और मैं भाभी के दोनों पैरों के बीच में आकर भाभी की चूत को चाटने लगा. अचानक भाभी के हाथ मेरे सर पर पड़े तो मुझे पता चल गया कि भाभी जाग गई हैं.
उन्होंने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और अपने दोनों हाथों से मेरे गाल को पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर करके बोली- सचिन क्या बात है आज तुम्हारा मन नहीं भरा?
मैंने बोला- भाभी, जब आपने मुझे चोदना सिखाया है तो अब मैं आपको फिर से चोदना चाहता हूं।
कविता भाभी बोली- मना किसने किया? कर ले अपने मन की! पर इस बार मैं तुझे कुछ नहीं बताऊंगी.
अब तुझे ही अपने मन से करना है और कुछ नया ट्राई करना है।
मैं बोला- ठीक है. अब तो मैं सब कुछ कर सकता हूं आपने जब मुझे सिखाया है तो. फिर मैं भाभी के बदन को चूमने चाहते लगा.
उनके नंगे बदन पर हाथ लगा तो भाभी भी धीरे-धीरे गर्म हो गई और मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी.
मैं उठकर भाभी के दोनों टांगों के बीच में आया और भाभी की चूत में लंड डालने को हुआ. तो भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी कमर पीछे खिसकाती हुई बोली- तुझे कुछ नया ट्राई करना है. मैं ऐसे तुम्हें चूत में नहीं दूंगी. यह तेरी परीक्षा है. अब तो अपने मन से कुछ नया ट्राई कर।
मैं कुछ देर सोचने लगा पर मेरा दिमाग में कुछ आया, मेरी नजर भाभी के रूम की खिड़की पर गई. उसे देख कर मेरे मन में कुछ नया करने का आया.
मैं उठा और भाभी का हाथ पकड़कर अपने साथ उसे खिड़की के पास ले गया. थोड़ा खिड़की के बारे में बता देता हूं। उनके रूम की खिड़की ऐसी थी कि अंदर की ओर ग्रिल लगी हुई थी और बाहर की ओर उस खिड़की के पल्ले खुलते थे. तो खिड़की उनकी पहले से ही लगी हुई थी.
भाभी ने पूछा- क्या नया करना है? मैं खिड़की से सट के खड़ा हो गया, भाभी को मेरे पास खींचा और उन्हें किस किया. उनके दोनों हाथ उठाकर उठाकर दाएं बाएं की ओर दोनों हाथों को दोनों साइड की ग्रिल पकड़ने को बोला.
अब मेरे पीछे बंद खिड़की की थी बीच में मैं था और मेरे सामने भाभी थी फिर मैंने उनका एक पैर उठाकर खिड़की के ऊपर रखा फिर दूसरा पैर मैंने खिड़की के ऊपर रखा ऐसा करने से भाभी झूल गई.
और मैंने नीचे से अपना लंड भाभी की चूत में डाला और भाभी से कहा- भाभी, अब तुम ऊपर नीचे मेरे लंड पर कूदो और दोनों हाथों से खेल को मजबूती से पकड़ के रखो.
भाभी ने ऐसा ही किया और मेरे लंड पर कूदने भी लगी। मेरे दोनों हाथ भाभी की पीठ पर घूम रहे थे कभी उनकी गांड को सहलाते तो कभी पेट को कभी उनके दूध को दबाते हुए. कुछ देर इस तरह चुदाई करने के बाद भाभी ने मुझसे बोला- सचिन, मेरे हाथ दर्द कर रहे हैं, अब मुझसे ग्रिल नहीं पकड़ी जाएगी।
मैंने कहा- तो भाभी, आप नीचे उतर जाइए. तो उन्होंने खिड़की से एक-एक करके अपने पैर नीचे जमीन पर रखे. फिर अपने हाथ खिड़की से अलग करके मेरा लंड निकाला उन्होंने अपनी चूत से। भाभी ने मुझसे बोला- रुको जरा मैं मूत करके आती हूं. और भाभी ऐसे ही नंगी बाथरूम में चली गई.
मेरा मन भी भाभी बाथरूम करते हुए हुए देखने का हुआ तो मैं भाभी के पीछे पीछे बाथरूम में पहुंच गया।
जब भाभी बाथरूम में मूत रही थी, उसी समय मेरी नजर वहां बाथरूम में टंगे हुए रबड़ के एक होज़ पाइप पर गई जो लगभग एक इंच मोटा और 10 फीट लंबा होगा मैंने उसको उठाया। भाभी मूत कर चुकी थी तो मुझसे पूछा- इसे ऐसे क्यों निकाला?
मैं बोला- देखती जाओ मैं क्या-क्या करता हूं अब तुम्हारे साथ। फिर मैं भाभी से बोला- घोड़ी बन जाओ. भाभी घोड़ी बन गई.
फिर मैंने पाइप का एक सिरा थोड़ा गीला किया और भाभी की गांड में धीरे धीरे डालना चालू कर दिया लगभग 3 इंच अंदर चला गया होगा और और दूसरा सिरा नल की टोटी में लगा दिया। भाभी बोली- सचिन, क्या कर रहे हो? कुछ तो बताओ?
मैंने भाभी की बात का कुछ जवाब नहीं दिया और नल चालू कर दिया. उसमें पानी होता हुआ पाइप में होता हुआ भाभी के गांड में जाने लगा और भाभी की गांड बढ़ने लगी।
भाभी बोली- सचिन क्या कर रहे हो? मेरा पेट भर रहा है पानी से! मैं बोला- चुप रहो, अभी तुम्हारी गांड की सफाई कर रहा हूं। और जब भाभी को बर्दाश्त नहीं हुआ तो बोली- सचिन बस करो … अब मेरा पेट फट जाएगा.
मैंने पानी बंद कर दिया और धीरे से पाइप भाभी की गांड से बाहर निकाला. भाभी से बोला- अपनी गांड दबाकर बंद रखो और खड़ी हो जाओ।
भाभी खड़ी हो गई. फिर मैंने अपने हाथ से भाभी के पेट को थोड़ा सा दबाया और फिर भाभी से बोला- अब अपनी गांड को खुला छोड़ दो. और जैसे ही भाभी ने अपनी गांड को हल्का सा ढीला किया तो उनकी गांड से गंदा पानी निकलने लगा. और पानी खत्म होने के बाद मैंने दोबारा भाभी की गांड में पाइप डाला और गांड में दोबारा पानी भरने लगा।
उनका पेट पानी से दोबारा भर जाने के बाद मैंने दोबारा उनसे बोला कि आप अपनी गांड फिर से ढीला करो और फिर उन्होंने अपनी गांड को दोबारा से ढीला किया और उनकी गांड से कम गंदा पानी निकला इस तरीके से मैंने कई बार यह प्रक्रिया दौराई जब तक कि उनकी गांड से साफ पानी नहीं निकलने लगा जब उनकी गांड से साफ पानी निकलने लगा।
तो मैंने बोला- भाभी अब आप नहा लो और यह गंदगी पड़ी हुई है, इसको साफ कर दो. फिर हम दोनों साथ नहाये और नंगे गीले बदन बाहर आकर पलंग पर लेट गए. मैंने भाभी से बोला- भाभी मेरा लंड खड़ा करो. भाभी ने अपने मुंह में लेकर लंड खड़ा किया. फिर मैंने भाभी के को घोड़ी बनने के लिए बोला. वह घोड़ी बन गई और मैंने अपना लंड भाभी की गांड में डाला और भाभी को चोदा.
मैं भाभी की पहली बार गांड चोद रहा था तो मुझे मजा आ रहा था।
कुछ देर भाभी की गांड चोदने के बाद मैंने अपना पूरा पानी भाभी की गांड में छोड़ दिया और भाभी के ऊपर लेट गया. थोड़ी देर में मेरा लंड छोटा हुआ तो उसकी गांड से बाहर आ गया।
कुछ देर बाद भाभी बोली- एक बात पूछूं? मैं बोला- बोलो! भाभी ने बोला कि सचिन तुम्हारे दिमाग में यह आइडिया कहां से आया? मैं बोला- पता नहीं, बस पाइप देखा और मुझे यह ख्याल आ गया।
उन्होंने बोला- पर जो भी है … मुझे इस तरीके से गांड की सफाई कराने में बहुत मजा आया।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी? मुझे मेल लिखना, जरूर बताइएगा.
मुझे मालूम है कि यह कहानी आपको शायद ही पसंद आए क्योंकि मैंने जल्दी-जल्दी में लिखी है यह कहानी!