तीन लंड से मेरी चूत गांड चुदाई का प्रोग्राम मेरे तीन पड़ोसी लड़कों ने बनाया. दो लंड जब मेरी चूत में घुसे तो मेरी हालत खराब हो गयी.
दोस्तो, मेरा नाम शनाया उर्फ सन्नो है.
मैं फिर से हाजिर हूँ और आपके लिए लंड खड़ा कर देने वाली अपनी अगली सेक्स कहानी लेकर!
आपने अब तक की कहानी
पड़ोस के दो लड़कों के लंड का मजा लिया
में पढ़ा था कि मुझे अनुज, जय और सोहन तीनों चोद चुके थे.
अब आगे Teen Lund se Meri Chut Gand Chudai:
सोहन, जय और अनुज एक ही बिल्डिंग में रहते थे तो उनमें आपस में दोस्ती हो गई थी.
वे तीनों अक्सर एक दूसरे को मेरे घर से निकलता हुआ देख लेते थे.
तीनों ही मेरे घर पर चाय नाश्ते के लिए या फिर मुझे कोई गिफ्ट देने के लिए या खाना या अन्य सामान देने के बहाने मेरे पास आते रहते थे.
अनुज अक्सर ही मुझे लंड का पानी पिला कर जाता था.
लेकिन मैंने अपनी चूत फिर से किसी को नहीं दी थी.
एक दिन मुझे मालूम हुआ कि अनुज का बर्थडे आने वाला है.
मैं उससे इस दिन पर चुदवाने का वादा कर चुकी थी लेकिन उसको इतनी देर रुकने का सब्र नहीं था.
एक दिन अनुज ने मुझे दबाव देकर ब्लाइंड फोल्ड सेक्स करने को राजी कर लिया.
मैं कुछ समझ ही नहीं सकी कि यह आंखों पर पट्टी बांध कर क्यों चोदना चाहता है.
फिर भी मैंने एक नया अनुभव हो जाएगा, यह सोच कर हामी भर दी.
करीब रात 9 बजे अनुज मेरे घर आ गया.
उसके हाथों में मेरी आंखों के लिए पट्टी और हाथों के लिए हथकड़ी थी.
मैं इसे उसकी फंतासी समझ रही थी.
तब भी इसके पीछे कुछ और राज भी था.
अनुज ने मुझसे रेड ड्रेस में तैयार होने को बोला था.
मैं लाल रंग की ब्रा पैंटी पहन कर उसके सामने आ गई और अनुज ने मेरी आंखों पर पट्टी लगा दी.
फिर उसने मुझे लिटा कर मेरी पैंटी नीचे खींच दी.
पैंटी हटने से मेरी चूत उसकी नजरों के सामने आ गई.
उसने मेरी चूत पर जीभ फेरना शुरू कर दिया.
अपनी जीभ को फेरते हुए ही वह ऊपर आने लगा और मुझे किस करने लगा.
मुझे लग रहा था कि आज अनुज जल्दी में है.
वह मुझे किस करते हुए ही अपने खड़े लंड को मेरी चूत पर रखने लगा.
अभी मैं कुछ कहती या रोकती कि तब तक तो अनुज का आधा लंड मेरी चूत के अन्दर जा चुका था.
मैं एकदम से लंड अन्दर आ जाने से कराह उठी ‘आआ आह आह उई मम्मी मर गई.’
इतने में उसने फिर से लंड को अन्दर ठेल दिया.
मैं- आआह अनुज जल्दी में हो क्या?
अनुज लंड निकाल कर उठ गया और वह अपने लंड को मेरे मुँह पर ले आया.
मैं उसके लंड को चूसने लगी.
कुछ देर बाद अनुज ने लंड मुँह से निकाला और एकदम से अपने लंड को चूत में घुसेड़ने लगा.
अनुज का लंड आज कुछ ज्यादा मोटा लग रहा था.
मैं ‘आआह अह …’ करने लगी.
तभी लगा कि अनुज के दोनों हाथ मेरे दोनों मम्मों पर जम गए हैं.
मैं आह आह कर ही रही थी कि वह मेरे मम्मों को कुछ अलग अहसास के साथ मसलने लगा था.
अब मुझे शक सा हुआ कि कुछ गड़बड़ है.
जैसे ही अनुज ने लंड बाहर निकाला, उसी वक्त मेरे मुँह पर एक लंड आ गया.
अनुज ने कहा- चूसो जान!
मैं अपने होंठों को खोलने ही लगी थी कि तभी मेरे मुँह में लंड पेल दिया गया.
मेरी आंखें बंद थीं. बस अहसास से ही समझ आ रहा था कि लंड किस तरह का है.
लंड के झटके लगने लगे.
उसी वक्त झट से मेरे मुँह से निकल कर लंड तुरंत चूत में घुस गया.
मैं इस बार पहले से ही लंड को महसूस करने पर ध्यान दिए हुए थी. मुझे समझ आ गया कि यह लंड अलग है.
अब मैं गड़बड़ समझ गई थी. मैं अनुज से अपने हाथों को खोलने का बोली.
वह हाथ नहीं खोल रहा था.
मैंने जबरन उससे अपने हाथ खुलवा लिए.
फिर हाथ बंधन मुक्त हुए तो मैंने खुद अपने हाथों से अपनी आंखों की पट्टी निकाल दी.
सामने देखा तो सोहन और अनुज आजू-बाजू थे.
नीचे जय अपना लंड मेरी चूत में पेल रहा था.
मैं- ओ माय गॉड … यह सब क्या है अनुज? तुम तीनों एक साथ?
अनुज- यह ग्रुप सेक्स है शनाया!
सोहन- हां शनाया, यह एक अलग सा मजा लेने के लिए प्लान बनाया था.
अब फिर वे तीनों खड़े हो गए और मेरे मुँह के सामने लंड करके हिलाने लगे.
मैं हंस दी और बारी बारी से सबके लंड चूसने लगी.
कुछ देर बाद सोहन मेरी चूत चूसने लगा.
मैं जय और अनुज का लंड चूसने में लग गई थी.
कुछ देर बाद मैं खड़ी हो गई.
जय ने मुझे उठा कर सोहन की गोद में दे दिया.
इतना सटीक निशाना लगा कि सोहन का लंड एक झटके में ही मेरी चूत में चला गया.
अब सोहन धकापेल चोदने लगा.
अनुज पीछे से आ गया और बोला- शनाया आज गांड के मजे भी दे दो.
मैं भी चुदासी थी.
उसने मेरी गांड में थूक लगाया और अपना सुपारा गांड के छेद में सैट करने लगा.
मैं कहने लगी- नहीं नहीं अनुज नहीं … प्लीज मैं यह नहीं कर सकती.
अनुज बोला- कर लोगी बेबी … तुम सब कर लोगी.
वह फिर से लंड रगड़ने लगा और मेरी गांड में डालने लगा.
मैं- नहीं अनुज, तुम नहीं … तुम्हारा बहुत मोटा है. जय पहले तुम गांड में डालो … अनुज का लंड काफी बड़ा है. मैं अपनी गांड फड़वाना नहीं चाहती.
अनुज ने मुझे गोद में ले लिया और जय ने पीछे से आकर थूक लगा कर गांड में सैट करके ठेल दिया.
जय पहली बार गांड मार रहा था इसलिए वह मेरी गांड में अपना लंड नहीं डाल पाया.
तो जय के बाद सोहन आ गया.
दोस्तो, गांड में लंड डालना कोई मामूली बात नहीं होती है.
खासकर पहली बार में तो यह और मुश्किल वाला काम होता है.
यही सोहन के साथ भी हुआ, वह भी मेरी गांड में लंड नहीं डाल पाया.
अब घूम फिर कर बारी अनुज की ही आ गई थी.
अनुज ने मुझे सोहन की गोद में दे दिया और सोहन ने चूत में लंड डाल दिया.
पीछे से अनुज ने मेरी गांड में थूक लगा कर लंड रखा और मुझसे थूक लेकर अपने हाथ पर लेकर अपने लंड पर मल दिया.
अनुज ने अपने हाथ से लंड पकड़ा और मेरी गांड में पेलने के लिए जोर दिया.
मैं चीखी- आआह उम उम मर गई अनुज … आह.
अनुज ने दांत भींचे और अपने लंड को मेरी गांड में ठेल दिया.
अभी उसका टोपा मेरी गांड के पहले छल्ले को फैला कर अन्दर जा चुका था.
मुझे बेहद दर्द हो रहा था और जय मेरे मुँह को बंद किए हुए था.
अनुज ने अब मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और फिर से झटके में लंड अन्दर करने लगा.
उसका आधा लंड मेरी गांड में किसी गर्म लोहे की रॉड के जैसे घुस गया था और वह उसे अन्दर बाहर करते हुए और अन्दर करने लगा था.
मैं दर्द से मरी जा रही थी, मेरे हाथ पैर फड़फड़ाने लगे थे.
चिल्ला कर मैं रोने लगी- उम्म मर गई मम्मी रे … आह साले मादरचोद जानवर आह निकाल साले!
अनुज बिना कुछ सुने झटके पर झटका देता जा रहा था.
इधर सोहन आगे चूत में झटके दे रहा था.
मैं आंखें बंद कर चुकी थी क्योंकि दर्द के मारे मैं बेहोशी में जाने लगी थी.
जय बोला- अनुज, इसको देख यार!
अनुज गाल पर एक चमाट देकर बोला- सन्नो उठ सन्नो … कुछ नहीं हुआ!
वे दोनों अपने अपने लंड ठेलने में लगे हुए थे.
अनुज मेरे बालों को खींच रहा था.
मैं आआह आह कर रही थी.
अनुज- सन्नो, अब आंखें बंद मत करना डार्लिंग … बस अब मजा आएगा.
कुछ देर बाद अनुज बेड पर लेट गया था.
उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और फिर से मेरी गांड में लंड डाल दिया.
इस बार मैंने बिना दर्द के लंड गांड में ले लिया था.
फिर सोहन ऊपर से आया और मेरी चूत में लंड डाल कर चूत रगड़ने लगा.
उधर जय बोला- सोहन हट साले … मैं क्या यहां झक मराने आया हूँ?
सोहन लंड हटाने से मना करते हुए मेरी चूत का भोसड़ा बनाने में लगा रहा.
जय सोहन को हटाने लगा.
उन दोनों की लड़ाई की स्थिति बनने लगी थी.
अब अनुज बोला- क्या हुआ बे चूतियो, लड़ो मत .. जय तू भी डाल ले.
अनुज बोला- सोहन तू आगे आ जा, जय तू सोहन के पीछे से चूत में अपना लंड डाल दे.
मैं बिलबिलाई- मादरचोद मेरी जान लोगे क्या? नहीं जय, तुम उधर नहीं, तुम मेरे मुँह में डाल लो!
अनुज- कुछ नहीं होगा शनाया!
यह सुनते ही जय पीछे से आया और उसने अपने लंड को सोहन के लंड के पास लगा दिया.
अनुज बोला- सोहन अपने धक्के बन्द करो. पहले जय का लंड अन्दर जाने दो.
जय ने लंड को ठेल दिया.
तीन लंड मेरी चूत गांड में थे, मैं चिल्ला उठी- आआह मर गई अनुज … आई मार डालोगे मुझे मादरचोद.
अब तक जय का लंड आधा से ज्यादा अन्दर चला गया था.
कुछ ही देर में जय ने पूरा लंड चूत में पेल दिया था.
मैं- आआह … आज सब मार डालोगे मुझे!
मगर वे कुछ नहीं सुनने के मूड में थे.
जय के बाद सोहन ने भी अपना लंड मेरी चूत में बाड़ दिया.
गांड में पहले से ही अनुज का लंड घुसा हुआ था.
वे तीनों धक्के देने में लगे थे.
मैं ‘आआह ईई …’ करने लगी और दर्द व मजे में सातवें आसमान पर थी.
सोहन ने मेरे मम्मों को पकड़ लिया और अनुज ने मेरे बालों को पकड़ लिया.
जबकि जय मेरी कमर को पकड़ कर लगा हुआ था.
तीनों लंड एक साथ मुझे चोद रहे थे.
मेरी दशा खराब हो रही थी. मैं दर्द से कराह रही थी.
अब सोहन नीचे आ गया और गांड में लंड डाल कर शुरू हो गया.
जय और अनुज चूत में लंड पेलने लगे.
अनुज का लंड बड़ा था, उससे मेरी चूत में दर्द हो रहा था.
करीब आधा घंटा तक ऐसे ही मेरे साथ चलता रहा.
काफी देर तक चुदाई करने के बाद जय अनुज से बोला- भाई, तेरी क्रीम काम कर रही है, मस्त है यार. अभी तक माल निकलने का नाम नहीं ले रहा है.
मैंने यह सुना तो अनुज को कोसने लगी कि साले ने इन दोनों को अपनी दवा लगा कर मेरे ऊपर चढ़ा दिया है.
अब वे सब उठते और मेरी चूत गांड का भर्ता बनाने में लग जाते.
सोहन मुँह में लंड डाल देता, तो अनुज चूत में और जय गांड में पेल देता.
तीन लंड से काफी देर तक मेरे बदन की रगड़ाई हुई.
मेरे मम्मों की हालत बिगड़ चुकी थी, एकदम चुकंदर से लाल हो गए थे.
अब मैं झड़ने लगी और अकड़ने लगी- आह बस करो … अब नहीं करना मुझे सेक्स!
लेकिन वे नहीं मान रहे थे.
फिर वे सब मुझे उठा कर बाथरूम में ले गए और बाथरूम में बारी बारी से मुझे चोदने लगे.
उधर वे तीनों मुझे एक एक करके चोद रहे थे, तो मुझे अच्छा लग रहा था.
इस तरह से मेरी चुदाई रात 10 से 12 बजे तक कमरे में और 12 से 1 तक बाथरूम में हुई.
फिर बाथरूम से बेड पर आकर एक घंटा आराम और शराब के साथ कुछ खाने पीने का दौर चला.
हंसी मजाक होता रहा.
उसके बाद फिर से चुदाई शुरू हो गई.
एक बार मैं ज्यादा मस्ती से चुदाई में साथ दे रही थी.
सुबह 4 बजे तक मेरे दोनों छेदों को बड़े बड़े गड्डे बना दिए गए थे.
फिर सब सो गए.
अगले दिन मैं एक बजे जागी.
वे तीनों नंगे मेरे ही आजू-बाजू लेटे हुए थे.
मेरे हिलाने पर वे सब जाग गए.
आज उन तीनों ने कुछ अलग कार्यक्रम सैट किया हुआ था.
मुझे पता ही नहीं था कि यह सब कब सैट कर लिया गया था.
सुबह उठ कर सबने नित्य क्रिया से फारिग होकर नाश्ता आदि किया और खेल शुरू हो गया.
उन तीनों में कॉम्पिटिशन शुरू हो गया कि कौन कितनी देर तक बिना झड़े शनाया को अपना लंड चुसवा सकता है और कितनी बार पानी निकाल सकता है.
जो जीतेगा, उसका पानी शनाया पी जाएगी और उसी विजेता बस को फिर से शनाया को चोदने का मौका मिलेगा.
मैं शुक्र मना रही थी कि कम से कम तीनों एक साथ नहीं चढ़ने वाले थे.
उन तीनों ने मुझे जमीन पर बिठा दिया और घड़ी चालू करके बारी बारी से लंड चुसवाने लगे.
मैं भी सड़क छाप रंडी की तरह उनके लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
करीब 12 मिनट बाद सोहन झड़ने लगा और वह मेरे मुँह से बाहर झड़ गया.
करीब 15 वें मिनट में जय झड़ने लगा. उसने मेरे बालों पर पिचकारी दी. कुछ बचा हुआ वीर्य मेरे चेहरे पर डाल दिया.
अनुज का लंड झड़ ही नहीं रहा था.
वह मुझे लंड चुसाता ही रहा. ठीक 25 वें मिनट पर अनुज झड़ने को हुआ और वह मेरे मुँह के अन्दर झाड़ने का अधिकारी था, पर उसने मेरे पूरे चेहरे को अपने वीर्य से भर दिया.
मेरे मम्मों पर और बालों पर उसकी पूरी 13 पिचकारियां चली थीं.
मैंने प्यार से उनके लंड को पकड़ा और चूस कर बचा हुआ वीर्य खा लिया.
अनुज मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.
हम सब नहाने गए और चुदाई की प्रतियोगिता समाप्त हो गई.
सब खाना आदि खा कर सो गए.
उसी दिन शाम को जब सब टीवी देख रहे थे.
तब विजेता अनुज ने मुझे अकेले में चोदना चालू किया और सोहन व जय देखने लगे.
अनुज ने करीब पौना घंटा तक मुझे चोदा था.
उसके लंड का पानी मैंने पिया और चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही लिपट कर लेट गए.
आज मुझे खुद से चुदाई की तलब लग रही थी कि मेरी एक साथ आगे पीछे से चुदाई हो.
मैंने जब अपनी कामना बताई तो फिर से रात में ग्रुप सेक्स हुआ.
मैं पूरी रात फिर से चुदी और पूरी तरह से शिथिल हो गई.
अगले दिन मेरी तबियत बिगड़ गई थी.
उसके बाद फिर मैंने ग्रुप सेक्स करने पर रोक लगा दी और सिंगल सिंगल सेक्स करने लगी.
अब कभी रात को जय मेरे पास रुक जाता, तो कभी सोहन और कभी मैं अनुज के पास जाकर सो जाती. कभी अनुज मेरे पास आ जाता.
उन तीनों में से मुझे अनुज ही एक मेरे लायक बन्दे मिला जिसके साथ अब मेरी गोवा की ट्रिप होने वाली है.
यह मेरी लाइफ है और मैं एन्जॉय करती हूं. चूत चुदने के लिए ही बनी है.
दोस्तो, गलत कमेंट मत करना … नहीं तो मेरी अगली घटना गोवा ट्रिप आपको पढ़ने को नहीं मिलेगी.
आप सभी का धन्यवाद जो तीन लंड से मेरी चूत गांड चुदाई कहानी को पढ़ा.
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